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भाजपा की ओर से तो साफ तौर पर कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा को जदयू में लाकर कोनिया घर थमा दिया। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री जीवेश मिश्र ने एक बातचीत के दौरान कहा कि उपेंद्र कुशवाहा जिस पद के लायक हैं, उन्हें पद नहीं दिया गया। इससे पहले चिराग पासवान की पार्टी की ओर से भी दावा किया गया था कि उपेंद्र कुशवाहा जल्द ही एनडीए के साथ हो सकते हैं।
बिहार की राजनीति में लगातार अटकलों का दौर चलता रहता है। कब कौन, किस ओर जा सकता है, इसको लेकर कहना बड़ा मुश्किल है। इन सबके बीच बिहार में इस वक्त चर्चा इस बात की तेज है कि उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार से नाराज चल रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा को मन मुताबिक पद नहीं मिला है जिसकी वजह से वह नीतीश कुमार से नाराज हैं। महागठबंधन के साथ सरकार बनने के बाद भी उपेंद्र कुशवाहा को कोई अहम मंत्रालय नहीं मिला। भाजपा की ओर से तो साफ तौर पर कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा को जदयू में लाकर कोनिया घर थमा दिया। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री जीवेश मिश्र ने एक बातचीत के दौरान कहा कि उपेंद्र कुशवाहा जिस पद के लायक हैं, उन्हें पद नहीं दिया गया। इससे पहले चिराग पासवान की पार्टी की ओर से भी दावा किया गया था कि उपेंद्र कुशवाहा जल्द ही एनडीए के साथ हो सकते हैं।
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दूसरी ओर उपेंद्र कुशवाहा ने इन्हें सिर्फ और सिर्फ अफवाह बताया है। उपेंद्र कुशवाहा ने साफ तौर पर कहा है कि राजनीति खत्म कर लूंगा, लेकिन बीजेपी में नहीं जाऊंगा। अपने बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि ऐसी पार्टी के साथ जाना क्या, जाने के लिए सोचना भी अपराध है। हालांकि, बीजेपी ने पलटवार में कहा है कि उपेंद्र कुशवाहा बिहार में कभी नेता प्रतिपक्ष रहे, केंद्र में मंत्री रहे, लोगों के लिए लंबे समय तक जमीन पर लड़ाई लड़ी, लेकिन आज उनका राजनीतिक अस्तित्व खतरे में है। यह बात उपेंद्र कुशवाहा को समझ लेनी चाहिए। आज नीतीश कुमार की सरकार है। बावजूद इसके उपेंद्र कुशवाहा को मन मुताबिक चीजें नहीं मिल रही हैं। लेकिन उपेंद्र कुशवाहा बार-बार यह कहते फिर रहे हैं कि इसमें कोई भी सच्चाई नहीं है कि वह भाजपा में शामिल होने वाले हैं।
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हालांकि, राजनीति समझने वाले लोग इस बात को भलीभांति समझते हैं कि नेताओं की कथनी और करनी में फर्क रहता है। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में अलग मोर्चा बनाकर उपेंद्र कुशवाहा चुनावी मैदान में थे। लेकिन उनके गठबंधन को जीत नहीं मिली। नीतीश कुमार के कभी बेहद करीबी रहे उपेंद्र कुशवाहा के साथ उनके रिश्ते काफी तल्ख हो गए थे। 2013 के बाद उन्होंने अपनी पार्टी बनाई थी जिसका नाम रालोसपा रखा था। 2014 के चुनाव में रालोसपा ने भाजपा से गठबंधन किया था। उपेंद्र कुशवाहा ने भी जीत हासिल की। उपेंद्र कुशवाहा केंद्र की मोदी सरकार 1 में शिक्षा राज्य मंत्री भी बने। लेकिन नीतीश कुमार के एक बार फिर से भाजपा के साथ गठबंधन होने के बाद उपेंद्र कुशवाहा असहज दिखने लगे। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने भाजपा से गठबंधन तोड़ ली।
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