नई दिल्ली. दिल्ली में एक बार फिर ऐसी वारदात हुई है, जिसने लोगों को हिलाकर रख दिया है. अपनी लिव-इन-पार्टनर श्रद्धा के साथ प्यार से रहने वाले आफताब ने जिस बेरहमी से उसका कत्ल किया है, उसे सुनकर बार-बार लोगों के मुंह से एक ही बात निकल रही थी, ‘ये तो किसी क्राइम सीरीज की कहानी जैसा लगता है. कोई ऐसा कैसे कर सकता है…’ मंगलवार को दिल्ली पुलिस श्रद्धा मर्डर केस के आरोपी आफताब अमीन पूनावाला को लेकर महरौली के जंगल पहुंची. मंगलवार को ही पुलिस की जांच में ये बात सामने आई है कि आफताब के इस क्राइम के पीछे एक वेब सीरीज प्रेरणा थी. आफताब अमेरिकलन क्राइम शो ‘Dexter’ से प्रेरित था. इतना ही नहीं, आफताब ने गूगल पर ‘खून साफ करने के तरीके’ और ‘मानव शरीर की संरचना’ जैसे विषय भी सर्च किए थे.
Google पर ढूंढा, खून कैसे साफ करें
इस पूरे मामले में पुलिस की तरफ से किया गया ये खुलासा बेहद दिल दहलाने वाला है. दरअसल ओटीटी की दुनिया क्राइम सीरीज और शोज से भरी हुई है और आज जब सबके हाथ में मोबाइल है, तब किस दिमाग में क्या चल रहा है, वह कहां से प्रेरणा ले रहा है, ये समझना-पहचानना बहुत मुश्किल है. पुलिस की जांच में सामने आया है कि आफताब ने वारदात से पहले अमेरिकी क्राइम शो डेक्स्टर समेत कई क्राइम मूवीज और शोज देखे थे. सबूत मिटाने के लिए गूगल पर खून साफ करने का तरीका भी ढूंढा था. इसके बाद ही उसने श्रद्धा का मर्डर किया और आरी से काटकर उसकी बॉडी के 35 टुकड़े किए. 18 दिन तक रोज रात 2 बजे जंगल में श्रद्धा के टुकड़े फेंके.
हमारा दिमाग अलमारी की तरह है
इस सारे मामले पर बात करते हुए मुंबई के जाने माने मनोवैज्ञानिक डॉ. चेतन सदाशिव लोखंडे ने बताया कि दरअसल ये बहुत गंभीर विषय है क्योंकि पिछले कुछ समय में लगातार कई क्राइम ऐसे हुए हैं जिनमें अपराधी ने किसी से प्रेरणा की है. ये हम इंसानों की विशेषता है कि जो भी चीजें हम देखते हैं, वो सीखते हैं. जैसा बच्चा अपने मां-बाप को देखकर सीखता है, वैसे ही हम आगे भी चीजों को देखकर ही सीखते हैं. यानी अगर आप कोई सीरियल या सीरीज देखते हैं, तो आपके दिमाग के किसी हिस्से में हमेशा रहता है. हमारी मेमोरी भी किसी अलमारी की तरह होती है. जैसे ही नेगेटिव इमोशन होतो है, हम तुरंत उससे बचने के तरीके ढूंढने लगते हैं और यही क्राइम के हालात में भी होता है.’ डॉक्टर चेतन कहते हैं, ‘इस पूरे मामले में मुझे 2 चीजें दिख रही हैं. एक तो वह पीडी (पर्सनेलिटी डिसऑर्डर) का शिकार होगा. यानी उसकी सोशल पर्सनेलिटी और अकेले में रहने वाली पर्सनेलिटी अलग होगी. इसके लक्षण हमें पहले जरूर दिखे होंगे लेकिन उनपर ध्यान नहीं दिया गया. दूसरा जिस तरह की वेब सीरीज हम देख रहे हैं, या कंटेंट हम देख रहे हैं वो कई तरह के आइडिया हमारे दिमाग में डाले जा रहे हैं. ऐसे में क्राइम के हालात में हम तुरंत वो करते हैं, जो हमने किसी को करते हुए कभी देखा है. अब चाहे वो फिल्में हों या वेब सीरीज.
हमारा दिमाग अलमारी की तरह है
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FIRST PUBLISHED : November 15, 2022, 15:58 IST
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