नवनीत सहगल उन अधिकारियों में गिने जाते हैं, जिनका हर सरकार में जलवा रहा है। मायावती के शासन काल में भी वह प्रदेश के महत्वपूर्ण अफसरों में से एक थे। अखिलेश के समय भी उन्होंने प्रदेश के प्रशासनिक गलियारे में अपनी महत्ता बनाए रखी थी। अखिलेश जब सीएम बने तो उन्होंने नवनीत सहगल को धर्मार्थ कार्य जैसा महत्वहीन विभाग दे दिया था। सहगल ने ही इस दौरान पहली बार काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का खाका खींचा था।
इसके बाद साल 2014 में अखिलेश ने नवनीत सहगल को एक बड़ी जिम्मेदारी दी। तत्कालीन सीएम ने उन्हें अपने ड्रीम प्रोजेक्ट आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे को तेजी से पूरा करने की जिम्मेदारी दी। जब सहगल को यह जिम्मा सौंपा गया था, तब एक्सप्रेसवे के लिए एक इंच जमीन नहीं खरीदी गई थी। कानूनी पचड़े में फंसी परियोजना को सहगल ने न सिर्फ सुलझाया बल्कि 6 महीने के भीतर ही उन्होंने एक्सप्रेसवे के लिए साढ़े 7 हजार एकड़ की जमीन खरीदवा दी। उन्होंने दो साल के रेकॉर्ड समय में 302 किमी लंबा एक्सप्रेसवे बनवाकर अपनी क्षमता साबित कर दी।
यह वही एक्सप्रेसवे है, जिसका जिक्र अखिलेश यादव अपने सरकार की उपलब्धियां गिनाने में सबसे पहले करते हैं। उन्होंने अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी जिसको दी, उस अफसर पर ही आजकल वह तंज कसने में लगे हैं।
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