राज्य सरकार एक नियामक प्राधिकरण के माध्यम से छात्रों में तनाव सहित विभिन्न मुद्दों को हल करने का प्रयास करेगी। इस विधेयक पर काम 2020 में शुरू हुआ और इसका मसौदा भी तैयार है। इस प्रस्तावित प्राधिकरण की अध्यक्षता किसी प्रतिष्ठित शिक्षाविद को सौंपी जाएगी।
जयपुर। राजस्थान सरकार द्वारा बहुप्रतीक्षित ‘राजस्थान निजी शैक्षिक नियामक प्राधिकरण विधेयक-2022’ विधानसभा के आगामी बजट सत्र में पेश किए जाने की संभावना है। इसमें राज्य सरकार एक नियामक प्राधिकरण के माध्यम से छात्रों में तनाव सहित विभिन्न मुद्दों को हल करने का प्रयास करेगी। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं और प्रवेश परीक्षाओं की तैयारियों के लिए कोटा में रहने वाले छात्रों द्वारा अवसाद सहित अन्य कारणों से आत्महत्या किए जाने की पृष्ठभूमि में सरकार ने करीब तीन साल पहले ही इस विधेयक को लाने पर काम करना शुरू किया था।
इस विधेयक पर काम 2020 में शुरू हुआ और इसका मसौदा भी तैयार है। प्राप्त सूचना के अनुसार, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए राजस्थान निजी शिक्षा विनियामक प्राधिकरण की स्थापना का प्रावधान करने वाला यह विधेयक निजी शिक्षा संस्थानों और कोचिंग/ट्यूशन केंद्रों द्वारा लगाए जाने वाले शिक्षण शुल्क, वार्षिक शुल्क वृद्धि, आवश्यक अध्ययन सामग्री की लागत और अन्य शुल्कों की संरचना को भी नियमित करेगा। मसौदे के अनुसार, इस प्रस्तावित प्राधिकरण की अध्यक्षता किसी प्रतिष्ठित शिक्षाविद को सौंपी जाएगी।
अध्यक्ष की जिम्मेदारी होगी कि वह छात्रों के लिए अध्ययन के घंटे तय करने संबंधी अलग-अलग प्रावधान करेंगे, नियमित विषय परीक्षणों के बीच पर्याप्त समयांतर सुनिश्चित करेंगे ताकि छात्रों के मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य पर कोई अनुचित दबाव ना पड़े। मसौदा विधेयक के अनुसार, एक ‘करियर परामर्श सेल’ भी बनेगा जो छात्रों को (इंजीनियरिंग, मेडिकल से इतर) विभिन्न संभावित करियर क्षेत्रों के बारे में बताएगा जहां वे अपना उज्जवल भविष्य बना सकते हैं, ताकि उन्हें अपने भविष्य को लेकर अत्यंत मानसिक दबाव का सामना न करना पड़े।
प्रस्तावित प्राधिकरण कोचिंग/ट्यूशन केंद्रों के फर्जी विज्ञापन, झूठे दावों (किसी परीक्षा विशेष में चयनित छात्रों की संख्या, फैकल्टी का नाम और अन्य) के कदाचार पर लगाम लगाने के लिए कदम उठाएगा। यह फर्जी विज्ञापनबाजी और टॉपर्स के महिमामंडन को हतोत्साहित करने के उपाय भी करेगा ताकि अपना रिजल्ट खराब होने पर बच्चे हतोत्साहित न हों। मसौदा विधेयक के अनुसार, ‘‘शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए यह प्राधिकरण छात्रों के नियमित परामर्श, मनोरंजन और सुरक्षा के लिए नियम बनाएगा।
यह हर संस्थान में एक परामर्श और सलाह प्रकोष्ठ की स्थापना को अनिवार्य करेगा।’’ इसके अनुसार, ‘‘साथ ही छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष निर्देश जारी किए जाएंगे। निजी शिक्षण संस्थानों के सभी स्तरों पर ‘अलग-अलग सक्षम’ छात्रों, शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए भी विशेष प्रावधान किए जाएंगे।’’ प्राधिकरण कोचिंग केंद्रों में दाखिला लेकर पढ़ने वाले छात्रों तथा उनके माता-पिता को होने वाले अत्यंत तनाव के गंभीर मुद्दे का समाधान करना चाहता है। प्राधिकरण छात्रों और अभिभावकों के लिए 24 घंटे हेल्पलाइन की स्थापना को अनिवार्य करेगा और कोचिंग केंद्रों के लिए एक तर्कसंगत शुल्क संरचना विकसित करने का प्रावधान भी करेगा।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि विधेयक को विधानसभा के अगले सत्र में पेश किए जाने की संभावना है। राज्य सरकार ने पिछले महीने प्रदेश में संचालित कोचिंग संस्थानों में पढ़ने/रहने वाले विद्यार्थियों को मानसिक सहयोग एवं सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से दिशा-निर्देश जारी किये थे। दिशानिर्देशों का उद्देश्य छात्रों के लिए तनाव मुक्त और सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करना था। उल्लेखनीय है कि कोटा में प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कर रहे तीन छात्रों ने हाल ही में आत्महत्या कर ली थी।
नीट की तैयारी कर रहे अंकुश आनंद (18) और जेईई की तैयारी कर रहे उज्ज्वल कुमार (17) ने सोमवार सुबह अपने पीजी के कमरों में फंदे से लटककर आत्महत्या कर ली। दोनों बिहार के रहने वाले थे। पुलिस ने बताया कि तीसरा छात्र प्रणव वर्मा (17) मध्य प्रदेश का रहने वाला था और वह नीट की तैयारी कर रहा था। उसने रविवार देर रात अपने हॉस्टल में कथित तौर पर कुछ जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली। देशभर के दो लाख से अधिक छात्र कोटा में विभिन्न संस्थानों में मेडिकल तथा इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश परीक्षाओं के लिए कोचिंग ले रहे हैं और करीब 3,500 हॉस्टल तथा पीजी में रह रहे हैं।
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