भागवत मुंबई में भारत विकास परिषद के एक कार्यक्रम में पहुंचे थे। उन्होंने कहा, ‘हम भारत हैं, भामाशाह हमारे पास हैं, वैसे ही भारत विकास परिषद है। भारत के विकास की अपनी कल्पना है, अपनी प्रकृति है। हमारे पास विकास के चार साधन है- अर्थ, काम, मोक्ष और धर्म है। और भारत धर्मपरायण देश है जो भारत को बाकी के देशों से अलग करता है। भारत के पास वसुधैव कुटुम्बकम का मंत्र है और सबके विकास में एक का विकास है।’
‘आज हम रशिया को कह सकते हैं-लड़ाई बंद करो’
देश के विकास को लेकर मोहन भागवत ने कहा, ‘भारत का जो प्राचीन चरित्र है, भारत विश्व के लिए शांति प्रदाता विश्व गुरु है और भारत को बाकी देश इसी रूप में देखते है, इसलिए भारत की आवश्यकता जब तक सृष्टि है तब तक भारत की जरूरत है। इसलिए भारत विकास परिषद के सभी कार्यकर्ताओं को भारत के चरित्र को प्रकृति को जानना है और सेवा करते हुए जीना है।’
मोहन भागवत ने इससे पहले कहा, ‘भारत बड़ा हो रहा है इसलिए आज भारत को G-20 में बुला रहे हैं। इसलिए आज हम रशिया को कह सकते हैं कि लड़ाई बंद करो। इससे पहले कहते तो हमें रशिया झाड़ देता लेकिन आज भारत संपन्न हो रहा है इसलिए कोई ऐसा हमें नहीं कह सकता।’
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