यूपी के अलग-अलग जिलों के नगर पालिका परिषद नगर पंचायत पार्षद से लेकर तक के प्रत्याशियों से मायावती खुद मुलाकात कर रही हैं। नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत पद के प्रत्याशियों की जिम्मेदारी मायावती ने बसपा की जिला इकाई और कोऑर्डिनेटर को सौंप दी है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में 762 शहरी स्थानीय इकाइयां हैं, जिनमें 17 नगर निगम 200 नगर पालिका परिषद और 545 नगर पंचायतें शामिल हैं। इन सभी निकायों के तहत करीब 4 करोड़ 85 लाख की आबादी निवास करती है।
अभी इसी महीने उत्तर प्रदेश सरकार ने मेयर और अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण की सूची जारी की थी। नोटिफिकेशन जारी होने के बाद उत्तर प्रदेश राज्य चुनाव आयोग स्थानीय निकाय में चुनाव कार्यक्रम का प्रस्ताव मुहैया कराएगा। सरकार की तरफ से मंजूरी मिलने के बाद चुनाव कार्यक्रम की नोटिफिकेशन जारी कर दी जाएगी।
सूत्रों के अनुसार मायावती पिछले एक महीने से लखनऊ में ही कैंप कर रही हैं और अपने आवास पर प्रतिदिन टिकट के दावेदारों के साथ मुलाकात कर रही है। बीएसपी से जुड़े एक नेता ने जानकारी देते हुए बताया की टिकट के दावेदार अपने संबंधित जिले की इकाई और कोऑर्डिनेटर्स को ऐप्लिकेशन देते हैं, जहां से उन्हें शॉर्टलिस्ट किया जाता है। इसका आधार स्थानीय और सामाजिक समीकरणों के साथ ही स्वच्छ छवि भी है। कैंडिडेट्स को शॉर्टलिस्ट करने के बाद लखनऊ में मायावती के साथ उनकी मुलाकात होती है।
मायावती अभी तक खुद सांसद और विधायक पद के प्रत्याशियों के साथ मुलाकात करते थे। लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है कि वह मेयर सहित निकाय चुनाव के अन्य पदों के दावेदारों के साथ खुद मुलाकात कर रहे हैं। उपचुनाव से दूर रहने वाली बसपा का ध्यान अब 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले स्थानीय निकाय लेवल पर पार्टी को मजबूत करना है। 2017 में हुए पिछले निकाय चुनाव में बसपा के खाते में मेरठ और अलीगढ़ के महापौर सीट के साथ ही अन्य कई पालिका और पंचायतों में जीत हासिल हुई थी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार स्क्रीनिंग के बाद तय हो रहे चुनिंदा प्रत्याशियों प्रत्याशी पद के दावेदारों के साथ मुलाकात में मायावती उनसे पेशे, शैक्षिक योग्यता, स्थानीय स्तर पर जातीय समीकरण, फैमिली बैकग्राउंड और जनता में छवि को लेकर सवाल कर रही हैं। एक जिले के बसपा अध्यक्ष ने नाम नहीं जाहिर होने की शर्त पर बताया कि मायावती प्रत्याशियों से यह भी कह रही हैं कि टिकट नहीं मिलने की स्थिति में भी पार्टी के साथ निष्ठा से जुड़े रहें, क्योंकि सत्ता में आने पर उन्हें उचित सम्मान दिया जाएगा।
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