भारतीय किसान संघ का कहना है कि फल, सब्जियां, अनाज, दूध उपलब्ध कराने वाले किसान आज अपनी कृषि उपज का पर्याप्त मूल्य न मिलने से बहुत निराश हैं और इस कारण आत्महत्या कर रहे हैं। लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य को लागू करने के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित करने की मांग की गई है कि किसानों को यह मूल्य आसानी से मिल सके। किसान सम्मान निधि में बढ़ोतरी करने और जीएम फसलों की अनुमति वापस लेने की मांग भी रखी गई है। किसान संघ ने कहा है कि कृषि गतिविधियों पर जीएसटी को वापस लेने और ‘पीएम-किसान’ योजना के तहत प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता में वृद्धि सहित सरकार से राहत उपायों की मांग की गई है। किसान संघ का कहना है कि किसानों को उनकी लागत का लाभकारी मूल्य उनका अधिकार है, भीख नहीं है। किसान नेताओं का कहना है कि आज दिल्ली में किसान संगठन सरकार को नींद से जगाने आया है। इस मौके पर भारतीय किसान संघ के नेताओं में दिनेश कुलकर्णी, भैयाराम जी मौर्य समेत कई नेता मौजूद रहे।
भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय महामंत्री मोहनी मोहन मिश्र ने कहा कि किसानों की आय में बढ़ोतरी के केंद्र सरकार के वादे पूरे नहीं हुए हैं। उन्होंने कहा कि कोविड के दौर में देश के किसानों ने पूरे देश को अनाज मुहैया करवाया और अपनी जान जोखिम में डालकर खेतों में अन्न पैदा किया। लेकिन आज किसान को उसकी फसल को उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि जीएम सरसों को लागू करने का फैसला घातक साबित होगा। किसानों ने कहा कि बढ़ती लागत और मुद्रास्फीति के साथ हमें कोई लाभ नहीं होता है। सरकार को किसानों की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए। डेयरी उद्योग पर भी जीएसटी नहीं लगाया जाना चाहिए। रैली में आए कई किसानों ने कहा कि अगर सरकार ने जल्द ही उनकी मांगों को पूरा नहीं किया तो वे विरोध तेज करेंगे।
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