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महाराष्ट्र में एमईएस और कुछ राजनीतिक संगठन अपनी मांग के लिए इस आधार पर दबाव बना रहे हैं कि कर्नाटक के जिले और कुछ अन्य पड़ोसी क्षेत्रों में मराठी भाषी लोगों की बड़ी आबादी है।
कर्नाटक के बेलगावी में पुलिस ने सोमवार को मध्यवर्ती महाराष्ट्र एकीकरण समिति के विरोध प्रदर्शन को उसके नेताओं और सदस्यों को हिरासत में लेकर विफल कर दिया।
बेलगावी में कर्नाटक का 10 दिवसीय विधानमंडल सत्र शुरू हुआ। महाराष्ट्र एकीकरण समिति (एमईएस) ने पूरे जिले का महाराष्ट्र में विलय करने की मांग को लेकर एक प्रदर्शन करने का फैसला किया था।
महाराष्ट्र में एमईएस और कुछ राजनीतिक संगठन अपनी मांग के लिए इस आधार पर दबाव बना रहे हैं कि कर्नाटक के जिले और कुछ अन्य पड़ोसी क्षेत्रों में मराठी भाषी लोगों की बड़ी आबादी है।
हालांकि, कर्नाटक यह कहते हुए इस मांग को खारिज कर रहा है कि निर्णय दशकों पहले ही लिया जा चुका है।
महाराष्ट्र एकीकरण समिति के कार्यकर्ता सूरज कंबरकर ने पीटीआई-से कहा कि पुलिस ने एमईएस युवा इकाई के अध्यक्ष शुभम शेलके, पूर्व विधायक मनोहर किनेकर, कोषाध्यक्ष प्रकाश मरघले और एमईएस पार्षद शिवाजी मंडोलकर को हिरासत में ले लिया।
कंबरकर ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र के कुछ लोगों ने भी कर्नाटक में प्रवेश करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र पुलिस ने उन्हें प्रवेश करने से रोक दिया।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने अनुमति देने के बाद बेलगावी के तिलकवाड़ी में वैक्सीन डिपो ग्राउंड में धरनास्थल से पंडाल, कुर्सियां और मेजें हटा दीं।
इस बीच, 60 संगठनों ने यहां शीतकालीन सत्र के दौरान सुवर्ण विधान सौध (एसवीएस) के सामने विरोध प्रदर्शन के लिए अर्जी दी।
पंचमसाली पीठ के बसव मृत्युंजय स्वामीजी ने सरकार को आगाह किया कि अगर पंचमसाली लिंगायत को ‘2ए’ का दर्जा नहीं दिया गया तो वह एसवीएस का घेराव करेंगे।
कर्नाटक क्षत्रिय मराठा समाज मंगलवार को एक रैली निकालकर मांग करेगा कि उनके समुदाय को ‘2-ए’ का दर्जा दिया जाए। किसान और गन्ना उत्पादक भी अपने उत्पादों के वैज्ञानिक मूल्य की मांग को लेकर धरना देंगे।
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