दरअसल उत्तर प्रदेश में ओबीसी जातियों का 50 फीसदी से ज्यादा वोट बैंक है। प्रदेश में 79 ओबीसी जातियां हैं, इनमें भी गैर यादव जातियों की बात करें तो करीब 40 फीसदी का वोट प्रतिशत बैठता है। भाजपा से लेकर सपा और बसपा, सभी पार्टियों की नजरें इसी वोट बैंक पर रहती हैं। अब मायावती ने विश्वनाथ पाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर इसी 40 प्रतिशत वोटबैंक पर लक्ष्य केंद्रित किया है। उन्होंने खुद अपने ट्वीट में कहा, “विश्वनाथ पाल, बी.एस.पी. के पुराने, मिशनरी कर्मठ व वफादार कार्यकर्ता हैं। मुझे पूरा भरोसा है कि वे विशेषकर अति-पिछड़ी जातियों को बी.एस.पी. से जोड़कर, पार्टी के जनाधार को बढ़ाने में पूरे जी-जान से काम करके सफलता जरूर अर्जित करेंगे।”
राजनीतिक विश्वलेषकों के अनुसार दरअसल मायावती ने विश्वनाथ पाल का चयन कर साफ कर दिया है कि राजभर वोट बैंक से ज्यादा अब पार्टी पाल वोट बैंक पर ध्यान केंद्रित करेगी। दरअसल राजभर वोट बैंक का झुकाव परंपरागत रूप से बसपा की तरफ रहा। सुभासपा के ओम प्रकाश राजभर भी बसपा से ही निकले नेता हैं। 2017 में भाजपा ने इस वोट बैंक पर ध्यान केंद्रित किया और सुभासपा के साथ गठबंधन किया। ओम प्रकाश राजभर योगी सरकार में मंत्री भी बनाए गए लेकिन साथ ही भाजपा ने अपने यहां भी इस समाज के नेताओं की पौध तैयार करनी शुरू कर दी। इस बार के विधानसभा चुनावों में ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया और उनका सीधा मुकाबला भाजपा से ही हुआ। इस पूरी सियासत में बसपा कहीं दिखाई नहीं दी। यहां तक की पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर अपने गृह जनपद मऊ में तीसरे स्थान पर रहे। जहां माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी ने सुभासपा के टिकट पर जीत दर्ज की। मुख्तार भी बसपा में हुआ करते थे।
ओम प्रकाश राजभर अब अपने समाज के बड़े नेता बन चुके हैं, दूसरी तरफ भाजपा का भी राजभर समाज में दखल बढ़ा है। ऐसे में बसपा के लिए गुंजाइश कम दिखती है। यही कारण है कि अब मायावती ने भीम राजभर को बिहार प्रदेश की ये कहते हुए जिम्मेदारी दी है, “भीम राजभर ने भी बी.एस.पी.यू.पी. स्टेट अध्यक्ष के पद पर रहकर, पार्टी के लिए पूरी ईमानदारी व वफादारी से कार्य किया है, जिनकी पार्टी आभारी है।” राजनीति विश्लेषकों के अनुसार दरअसल पाल समाज पर दांव लगाने के पीछे की प्रमुख रणनीति उसकी आबादी भी है। दरअसल उत्तर प्रदेश में राजभर समाज से ज्यादा जनसंख्या पाल समाज की मानी जाती है। पश्चिम यूपी में ब्रज क्षेत्र से लेकर बुंदेलखंड और अवध के कई जिलों में ये वोट बैंक अहम भूमिका निभाता है।
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