कर्नाटक में शीतकालीन अधिवेशन के दौरान आज सीमा विवाद के प्रश्न पर महत्वपूर्ण फैसला लिया जा सकता है। चव्हाण ने कहा कि महाराष्ट्र को एक इंच जमीन न देने की बात बोम्मई कह रहे हैं। ऐसे में कर्नाटक सरकार ऐसा कोई फैसला ले सकती है। हालांकि, हम भी महाराष्ट्र के हित मे इसी प्रकार का फैसला विधानसभा में ले सकते हैं। चव्हाण ने कहा कि किसी भी कीमत पर कर्नाटक को सुप्रीम कोर्ट का फैसला मानना ही पड़ेगा। फिर भी सीमा विवाद के मुद्दे पर महाराष्ट्र सरकार को चुप्पी साधने वाली भूमिका नहीं अपनानी चाहिए। केंद्रीय गृहमंत्री को दोनों ही राज्यों के मुख्यमंत्री को एक कमरे में बंद कर देना चाहिए और तब तक बाहर नहीं निकलने देना चाहिए जब तक इसका हल न निकल जाए, अगर ऐसा हुआ तभी यह विवाद खत्म होगा।
खामोशी वाली दवा देकर भेजा है क्या?
कुछ दिन पहले महाराष्ट्र और कर्नाटक के सीमा विवाद के मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक महत्वपूर्ण बैठक की थी। जिसमें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई मौजूद थे। संजय राउत ने कहा कि बैठक में किस बात पर चर्चा हुई, इसपर से पर्दा नहीं उठा पाया है। राउत ने कहा कि ऐसा लगता है कि दिल्ली से शिंदे और फडणवीस को चुप्पी की दवा देकर भेजा गया है। इसी वजह से वह मराठी मानुस के मुद्दे और उन पर हो रहे अत्याचार को देख कर भी खामोश हैं।
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