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राणा वर्तमान में पूर्वी महाराष्ट्र में अमरावती से सांसद हैं, यह सीट अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है। उन्होंने मुलुंड की मजिस्ट्रेट अदालत के फैसले के खिलाफ सांसदों और विधायकों के मामलों की सुनवाई करने वाली विशेष अदालत के समक्ष एक समीक्षा अर्जी दायर की थी।
यहां की एक अदालत ने बुधवार को निर्दलीय सांसद नवनीत राणा के विरूद्ध फर्जी तरीके से जाति प्रमाण पत्र हासिल करने के मामले में समीक्षा अर्जी को खारिज कर दिया। राणा ने मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा आरोप मुक्त करने से इंकार के खिलाफ अर्जी दायर की थी।
राणा वर्तमान में पूर्वी महाराष्ट्र में अमरावती से सांसद हैं, यह सीट अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है। उन्होंने मुलुंड की मजिस्ट्रेट अदालत के फैसले के खिलाफ सांसदों और विधायकों के मामलों की सुनवाई करने वाली विशेष अदालत के समक्ष एक समीक्षा अर्जी दायर की थी।
मजिस्ट्रेट ने अगस्त में पारित एक आदेश में, राणा को इस मामले से बरी करने से इनकार करते हुए कहा था कि कथित धोखाधड़ी और जालसाजी के दस्तावेजी प्रमाण सहित उनके खिलाफ ‘‘प्रथम दृष्टया सबूत’’ हैं।
राणा की ओर से पेश अधिवक्ता रिजवान मर्चेंट ने विशेष अदालत के समक्ष दलील दी कि पुलिस द्वारा दाखिल आरोपपत्र में उनके खिलाफ कोई सामग्री नहीं है। अतिरिक्त लोक अभियोजक एस एस पंजवानी ने कहा कि मजिस्ट्रेट का आदेश ‘‘पूरी तरह से न्यायसंगत’’ था, क्योंकि राणा के खिलाफ सबूत मिले हैं।
मुंबई के मुलुंड पुलिस थाने में दर्ज शिकायत के अनुसार, राणा और उनके पिता ने एससी प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए जाली दस्तावेज तैयार किए ताकि राणा अमरावती से चुनाव लड़ सकें। बंबई उच्च न्यायालय ने 2021 में राणा के जाति प्रमाण पत्र को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि इसे जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करके जालसाजी से प्राप्त किया गया था। पिता-पुत्री ने उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है।
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