राहुल गांधी ने मंच पर मौजूद सभी प्रदेश नेताओं को एक-एक कर गले लगाया।
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा 17 दिनों के बाद बुधवार को राजस्थान से निकलकर हरियाणा में प्रवेश कर गई है। राजस्थान की सीमा से लगे हरियाणा के नूंह जिले के फिरोजपुर झिरका में झंडा सौंपने के समारोह में राहुल गांधी ने रेगिस्तानी राज्य के नेताओं को गर्मजोशी से गले लगाकर उन्हें विदाई दी। कांग्रेस नेता ने अपने संबोधन में एक बार फिर नेताओं को जमीन पर रहने और आम लोगों से जुड़े रहने की हिदायत दी। उन्होंने कहा- मैं (कांग्रेस अध्यक्ष) मल्लिकार्जुन खड़गे से अपील करना चाहता हूं कि जहां भी कांग्रेस की सरकार बने, वहां के नेता जनता के बीच रहें। नेताओं को धक्के खाने चाहिए, गिरना चाहिए, घुटने छिलने चाहिए। ताकि वह आम लोगों के दर्द को समझ सकें।
राजस्थान के मंत्री, विधायक और नेता महीने में कम से कम एक दिन सड़क पर चलें
राहुल गांधी ने मंच पर मौजूद सभी प्रदेश नेताओं को एक-एक कर गले लगाया। सबसे पहले उन्होंने राजस्थान कांग्रेस प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा को विदाई दी, उसके बाद सचिन पायलट, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और अन्य नेताओं को भी गले लगाकर विदाई दी। राहुल गांधी ने कहा- मैं खड़गे जी से कहना चाहता हूं कि हर कांग्रेस शासित राज्य में मंत्रियों के महीने में एक बार 15 किलोमीटर पैदल चलने के इस मॉडल को दोहराया जाना चाहिए। जहां भी कांग्रेस की सरकार बने, वहां के मंत्री, विधायक और पार्टी के नेता महीने में कम से कम एक दिन सड़क पर चलें। उन्होंने कहा- अन्य नेता घंटे भर भाषण देते हैं, हम 15 मिनट बोलते हैं। हम यात्रा के दौरान लंबे भाषण नहीं देते हैं। यात्रा सुबह 6 बजे शुरू होती है, हम छह से सात घंटे चलते हैं और फिर 15 मिनट तक भाषण देते हैं। आजकल नेताओं और जनता के बीच एक फासला है। नेताओं को लगता है कि जनता की बात सुनने की जरूरत नहीं है, बस घंटों लंबे-लंबे भाषण देते हैं। हमारी यात्रा इसे बदलने की कोशिश कर रही है। हम सात-आठ घंटे पैदल चलते हैं और सभी नेता किसान, मजदूर, नौजवान और छोटे दुकानदारों की बात सुनते हैं।
नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलने आया हूं
राहुल गांधी ने कहा, राजस्थान के नेता यहां बैठे हैं। अशोक गहलोत, गोविंद डोटसारा, सचिन पायलट, हरीश चौधरी.. सभी यहां हैं। उनके चेहरे देखिए। कोई थकान नहीं है। राहुल गांधी ने कहा कि बीजेपी नेता अक्सर पूछते हैं कि भारत जोड़ो यात्रा की क्या जरूरत है। कन्याकुमारी से कश्मीर तक पैदल चलने की क्या जरूरत है? मेरा कहना है कि यह नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलने के लिए है। जब भी ये लोग (बीजेपी) इस देश में नफरत फैलाने निकलते हैं तो हमारी विचारधारा के लोग प्यार फैलाने लगते हैं। यह लड़ाई कोई नई नहीं है, यह लड़ाई हजारों साल पुरानी है। दो विचारधाराएं हैं..एक जो चुनिंदा लोगों को फायदा पहुंचाती है, दूसरी जनता की आवाज है। यह किसानों, मजदूरों की आवाज है..।
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